जुन्नर का गधा मेला: पुणे जिले के जुन्नर में हर साल गधा मेला आयोजित होता है

पोला त्योहार: बैलों के सम्मान में मनाया जाने वाला यह त्योहार महाराष्ट्र के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है।

पत्थर मारने की परंपरा (बागड़ खालना): जलगांव जिले के कुछ हिस्सों में दशहरे के मौके पर पत्थर मारने की अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इसे शुभ माना जाता है।

कोंकण का नरील पूर्णिमा: इस दिन मछुआरे नारियल को समुद्र में अर्पित करते हैं और समुद्र देवता का आशीर्वाद मांगते हैं

सिंधुदुर्ग का हुरदा पार्टी: फसल कटाई के बाद यहां लोग "हुरदा" (ज्वार की कच्ची फसल) का आनंद लेते हैं।

नंदुरबार का तारपा नृत्य: आदिवासी लोग विशेष उत्सव में यह नृत्य करते हैं

वर्षा पूजा (पावस मेळा): कोल्हापुर जिले में मानसून के आगमन पर यह मेला आयोजित होता है

भंडारा उत्सव: विदर्भ क्षेत्र के कोराडी देवी मंदिर में हर साल भंडारा उत्सव में पीले रंग के चूर्ण का उपयोग होता है। भक्त इसे एक-दूसरे पर फेंकते हैं।

पंढरपुर वारी: लाखों भक्त विठोबा (भगवान विट्ठल) की पैदल यात्रा पर निकलते हैं  यह परंपरा 800 साल पुरानी मानी जाती है

गोल्डन टोड  बहुत समय पहले जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हो गया ।